Sunday, March 8, 2009

हुनर मुझ मैं नही

सच्चा प्यार
मै तो आइना हूँ तू जैसी दिखती है मै
तो वैसी ही बात कहूं
तेरी झूठी तारीफ करने करने का
हुनर मुझमे नहीं

देख तेरी आँखों मै आंसू
दिल मेरा भी रोता है
पर झूठा अपनापन दिखाने
करने का हुनर मुझमे नहीं

चाहत जिंदगी भर के
साथ की है मेरी
यूं पल भर के सुख के खातिर
उपहार भेंट करने का हुनर मुझमे नहीं

प्यार सच्चा हो
और हो दिल दिल की गहराई से
यूं मीठी मीठी बात्तें
करने का हुनर मुझमे नहीं

पाक दिल है शर्मा
मन कांच सा साफ़ है
मन मै कुछ हो
और जुबान पर कुछ और लाने
का हुनर मुझमे नहीं

शर्मा चाहता है तुझे
दिल की गहराई से
पर आपने प्यार का
इज़हार करने का हुनर मुझमे नहीं
हुनर मुझमे नहीं......................
हुनर मुझमे नहीं ................

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